देश भर में शिवरात्रि पर भक्तिमय माहौल बना हुआ है। सुबह से ही शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा है। भगवान शिव को भांग-धतूरा चढ़ाकर श्रद्धालु उन्हें प्रसन्न करने में जुटे हैं, ताकि बाबा भोले की कृपा उन पर बनी रही। ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए रात से ही शिवभक्त लाइन में लगे हैं। हर ज्योतिर्लिंग के बाहर श्रद्धालुओं की कतार लगी है। पुराणों के अनुसार जहां-जहां ज्योतिर्लिंग हैं, उन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पूजन, आराधना और नाम जपने मात्र से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। बाबा भोले की विशेष कृपा बनी रहती है। आइये महाशिवरात्रि के मौके पर आपको द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराते हैं।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सात्विक मनोकामनाएं पूरी होती हैं और दैहिक, दैविक व भौतिक पाप नष्ट हो जाते हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित महाकालेश्वर स्वयंभू दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। देशभर में यह तीर्थ स्थान बाबा महाकाल के नाम से प्रसिद्ध है।
ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओमकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से पुरुषार्थ चतुष्ट्य की प्राप्ति होती है।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ धाम उत्तराखंड में अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर स्थित है। यहीं श्री नर और नारायण की तपस्थली है। कहा जाता है कि उन्हीं की प्रार्थना पर शिव ने यहां अपना वास स्वीकार किया था।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां स्थित शिवलिंग काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
धर्म नगरी काशी में काशी विश्वनाथ का मंदिर गंगा नदी के तट पर है। ऐसी मान्यता है कि हिमालय छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था। इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि प्रलय काल का इस नगरी पर कोई असर नहीं पड़ता।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक से 30 किमी पश्चिम में स्थित है। गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है। माना जाता है कि ऋषि गौतम और पवित्र नदी गोदावरी की प्रार्थना पर ही भगवान शिव ने इस स्थान पर अपने वास की स्वीकृति दी थी।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर मंदिर गुजरात में द्वारकापुरी से 17 मील दूर स्थित है। कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
बाबा बैजनाथ (वैद्यनाथ) मंदिर झारखंड के देवघर जिले में स्थित है। कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडु राज्य में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
शिव का 12वां ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। इसे घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग अठारह किलोमीटर दूर स्थित है